आजादी के कई दशकों बाद देश की राजनीति में हिन्दुत्व के नाम पर वोटों का ध्रुवीकरण हो या किसी अन्य समुदाय का तुष्टिकरण, भारतीय राजनीति में यह घटना पहली बार घटित हुई है। आजादी के बाद जाति और समुदायों के नाम पर लम्बे समय से ही राजनीति होती आ रही है। समस्याओं पर आधारित राजनीति की धुरी भारत में न होने का कारण उच्च मानदंडों के राजनेताओं की कमी और सामाजिक बनावट मुख्य रही है।
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