भारत के अन्य प्रदेशों की भांति छत्तीसगढ़ में भी संचार के लिए लोक माध्यमों को विकसित किया गया। जिन्हें लोकनाट्य, लोक नृत्य व लोक संगीत के रूप में जाना जाता है। छत्तीसगढ़ में भी लोक नाट्यों, लोक नृत्यों व लोक संगीतों के माध्यम से लोगों में संदेश देने, मनोरंजन पहुंचाने व लोगों को शिक्षित करने का कार्य पुरातन काल से किया जाता रहा है।
मई माह की चिलचिलाती धूप में झुलसते और गर्म हवाओं के तमाचे खाते हुए वह तेज़-तेज़ कदम रखते हुए घर की ओर बढ़ रहा था… दो ठ़डे-मीठे ख्यालों को मन में संजोये कि घर जाते ही माँ से कहेगा कि खूब सारी कुटी बर्फ मिला रूह अफज़ाह का शर्बत बना दें, जिसे तृप्त भाव से पी कर कूलर की मनभावन ठंडक में पाँव पसार कर साँझ तक सोता रहेगा