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भारतीय दर्शन

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    इन्द्रियाँ काम के कार्यकलापों के हैं विभिन्न द्वार

    by Bhanu Pratap Mishra March 20, 2023
    March 20, 2023

    इन्द्रियाँ काम के कार्यकलापों के विभिन्न द्वार हैं। काम का निवास शरीर में है, किन्तु उसे इन्द्रिय रूपी झरोखे प्राप्त हैं। अतः कुल मिलाकर इन्द्रियाँ शरीर से श्रेष्ठ हैं। श्रेष्ठ चेतना या कृष्णभावनामृत होने पर ये द्वार काम में नहीं आते। कृष्णभावनामृत में आत्मा भगवान् के साथ सीधा सम्बन्ध स्थापित करता है।

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    आत्मा है अजन्मा और अविनाशी

    by Bhanu Pratap Mishra March 20, 2023
    March 20, 2023

    भारतीय साहित्यों की वैज्ञानिकता को जानने के लिए जीवन को दो भागों में बांट कर देखे जाने की आवश्यकता है। एक भाग आत्म तत्व है, जिसे आत्मा कहा जाता है और उसकी जानकारी पा जाना ही जीवन का रहस्य होता है। आत्मा को समझने के लिए स्व का ज्ञान होना आवश्यक है और स्व के ज्ञान के लिए भारत के समस्त साहित्य धोषणा करते हैं कि एक दुनिया व्यक्ति के अंदर है।

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    वाणी का महत्व समझें

    by Bhanu Pratap Mishra March 20, 2023
    March 20, 2023

    पं. श्रीराम शर्मा आचार्य – जीभ सब के मुख में है और बोलते भी सभी…

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    अंतरात्मा परमात्मा का प्रतीक-प्रतिनिधि

    by Bhanu Pratap Mishra March 20, 2023
    March 20, 2023

    मनुष्य में जहाँ शारीरिक-मानसिक स्तर की अनेक विशेषताएँ हैं। वहीं उसकी वरिष्ठता इस आधार पर भी है कि उसमें अंतरात्मा कहा जाने वाला एक विशेष तत्त्व पाया जाता है। उसमें उत्कृष्टता का समर्थन और निकृष्टता का विरोध करने की ऐसी क्षमता है, जो अन्य किसी प्राणी में नहीं पाई जाती। जीव-जंतुओं में उनकी इच्छा या आवश्यकता की पूर्ति के निमित्त ही कई प्रकार की प्रेरणाएँ उठती हैं।

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    शिकागो का सर्व धर्म परिषद् और युगपुरूष स्वामी विवेकानंद का अभ्युदय

    by Bhanu Pratap Mishra March 16, 2023
    March 16, 2023

    भानु प्रताप मिश्र वर्तमान शिक्षण प्रणाली में अधिगम (सीखने की प्रक्रिया) के व्यवस्था को तीन…

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    आत्मा है अजन्मा और अविनाशी

    March 20, 2023

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