भानु प्रताप मिश्ररायगढ़ – छत्तीसगढ़ में होने वाले दूसरे चरण के मतदान से पूर्व राजनैतिक…
घटनाक्रम
-
-
भानु प्रताप मिश्र रायगढ़ – प्रदेश में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अलग-अलग विधानसभाओं में नेताओं…
-
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला मुख्यालय में चुनाव के मद्देनजर प्रदेश चुनाव प्रभारी ओम प्रकाश माथुर, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरूण साव, चुनाव सह प्रभारी डॉ. मनसुख मांडविया आदि ने भाजपा के कार्यकर्ताओं से चर्चा की और एक प्रेसवार्ता भी रखा गया था। जिसकी पूरी जिम्मेदारी भाजपा नेता और समाजसेवी सुनील रामदास को दी गयी थी। प्रेसवार्ता में देखा गया कि ओम माथुर प्रेस के प्रश्नों का उत्तर देने नहीं आए।
-
छत्तीसगढ़ की 12 ऐसी जातियां हैं, जिन्हें लिपिकीय त्रुटि के कारण अनुसूचित जनताति का दर्जा प्राप्त नहीं था। लेकिन उनकी जीवनशैली, उनकी पूजा पद्धति, उनका सामाजिक जीवन और शादी संबंध आदि सब अनुसूचित जनजातियों के लोगों से आपस में मिलाजुला है।
-
छत्तीसगढ़ का रायगढ़ विधानसभा, निर्वाचन के दृष्टि से क्षेत्र क्रमांक 16 है। यह विधानसभा क्षेत्र प्राकृतिक रूप से सुन्दर और समृद्ध भी है। चूंकि यह जिला मुख्यालय है और इस जिले में सैकड़ों की संख्या में इस्पात व विद्युत संयंत्र संचालित हैं। इसके अतिरिक्त इस जिले में कोयले की दर्जनों खदाने भी सरकारी और गैर-सरकारी स्वरूप में संचालित हैं।
-
छत्तीसगढ़ के लोक आस्था का उत्सव हरेली, श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को किसानों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है। इस उत्सव में किसान कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं
-
मणिपुर के मुद्दे पर संसद में चल रहा विपक्षियों की शुद्ध राजनीति है। विरोध के पीछे अपनी राजनीतिक लकीर को लम्बा करने का प्रयास किया जा रहा है।
-
डिजिटल साक्षरता के अभाव में डिग्री कॉलेज के प्राध्यापक छात्र-छात्रा को जानकारी देने में सक्षम नहीं बताए जा रहे है। वहीं अभिभावकों के प्रश्न पूछे जाने पर नामांकन नहीं करने की भी धमकी देते हैं।
-
आजादी के कई दशकों बाद देश की राजनीति में हिन्दुत्व के नाम पर वोटों का ध्रुवीकरण हो या किसी अन्य समुदाय का तुष्टिकरण, भारतीय राजनीति में यह घटना पहली बार घटित हुई है। आजादी के बाद जाति और समुदायों के नाम पर लम्बे समय से ही राजनीति होती आ रही है। समस्याओं पर आधारित राजनीति की धुरी भारत में न होने का कारण उच्च मानदंडों के राजनेताओं की कमी और सामाजिक बनावट मुख्य रही है।
-
भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति के अनुसार फागुन और चैत्र माह वसंत ऋतु में उत्सव के महीने माने जाते हैं। चैत्र माह के मध्य में प्रकृति अपने श्रृंगार एवं सृजन की प्रक्रिया में लीन रहती है और पेड़ों पर नए नए पत्ते आने के साथ ही सफेद, लाल, गुलाबी, पीले, नारंगी, नीले रंग के फूल भी खिलने लगते हैं। ऐसा लगता है कि जैसे पूरी की पूरी सृष्टि ही नई हो गई है, ठीक इसी वक्त भारत में हमारी भौतिक दुनिया में भी एक नए वर्ष का आगमन होता है।
- 1
- 2