भानु प्रताप मिश्र
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला मुख्यालय में चुनाव के मद्देनजर प्रदेश चुनाव प्रभारी ओम प्रकाश माथुर, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरूण साव, चुनाव सह प्रभारी डॉ. मनसुख मांडविया आदि ने भाजपा के कार्यकर्ताओं से चर्चा की और एक प्रेसवार्ता भी रखा गया था। जिसकी पूरी जिम्मेदारी भाजपा नेता और समाजसेवी सुनील रामदास को दी गयी थी। प्रेसवार्ता में देखा गया कि ओम माथुर प्रेस के प्रश्नों का उत्तर देने नहीं आए।
यह विषय मीडिया कर्मियों के बीच चर्चा का विषयवस्तु रहा। उनके अनुपस्थिति में प्रेसवार्ता को केन्द्रीय मंत्री व चुनाव सह प्रभारी मनसुख मांडविया ने केन्द्र के उपलब्धियों को प्रेस से साझा किया। जिसमें मोदी सरकार के लोक कल्यांणकारी कार्यों को उन्होंने प्रेस के समक्ष रखा। लेकिन स्थानीय मुद्दों पर उत्तर न मिलने से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव से उनके कमरे में चार पत्रकारों ने मुलाकात की और उनसे स्थानीय मुद्दों पर बात की।
जिसमें एक प्रश्न यह था कि स्थानीय स्तर पर भाजपा तीन खेमे में बटी हुई है। जिसका उदाहरण 2018 के चुनाव में देखने को मिला था। जिसपर प्रदेश अध्यक्ष का उत्तर रहा कि भाजपा में कोई खेमा नहीं है, चुनाव में सब एक होकर लड़ेंगे। दूसरा प्रश्न यह रहा कि इस सीट का प्रभाव जिले तीन विधानसभाओं पर पड़ता है। इसलिए यहां प्रत्याशी चयन हेतु भाजपा किस मानक को अपनाएगी।
उसके उत्तर में उन्होंने कहा कि जीताऊ प्रत्याशी को यहां से टिकट दिया जाएगा, जिसका प्रभाव अन्य तीन सीटों पर भी हो। इसके प्रति प्रश्न में पत्रकारों ने यह पूछा कि यहां से नए प्रत्याशी या पुराने प्रत्याशी पर भाजपा दाव खेलेगी। जिसके उत्तर में उन्होंने कहा कि पुराना या नया दोनों मानक नहीं है। एक मात्र मानक, जीताऊ प्रत्याशी का होना ही है, जिस प्रत्याशी का प्रभाव लैलूंगा, धरमजयगढ़ व खरसिया में भी हो वैसे प्रत्याशी को भाजपा का टिकट मिलेगा।
क्योंकि खरसिया सहित चारों सीट पर जीत दर्ज करना ही हमारी प्राथमिकता है। खरसिया सीट से जुड़े हुए प्रश्न में यह पूछा गया कि जब से खरसिया सीट अस्तित्व में आया है, तब से भाजपा के स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव को छोड़कर किसी ने कांग्रेस के समक्ष चुनौती प्रस्तुत नहीं की है। इसपर उन्होंने कहा कि भाजपा हर सीट पर कांग्रेस को चुनौती देगी और जीतेगी भी। भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है और देश के हर क्षेत्र में उसके कार्यकर्ता विधायक बनने का मद्दा रखते हैं।
रायगढ़ का गुटबाजी और खरसिया सीट भाजपा के लिए चुनौती
लोक चर्चा के अनुसार खरसिया में दिलीप सिंह जुदेव ने अर्जुन सिंह को मात दे दी थी। जब कि वे अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उसके बाद दोबारा मतगणना हुई थी। जिसमें अर्जुन सिंह को जीताने के लिए प्रशासनिक हथकंडा अपनाया गया था। तत्पश्चात् खरसिया सीट पर पूर्व कलेक्टर ओम प्रकाश चौधरी ने थोड़ी टक्कर दी थी, लेकिन उन्हें भी लगभग 15 हजार मतों से हार का मुख देखना पड़ा था।
हांलाकि चर्चा यह भी है कि इस चुनाव में वर्तमान विधायक व मंत्री उमेश पटेल को सहानुभूति का मत मिला था। लेकिन खरसिया हाउस के बिगड़े समीकरण और स्वर्गीय नन्दकुमार पटेल के व्यवहार की तुलना कांग्रेस के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।रायगढ़ भाजपा में तीन गुट है, जो कि स्वागत में लगे बैनर और पोस्टर में भी देखने को मिला।
तीनों गुट ऊपर से तो एक दिखते हैं, किन्तु चुनावी मैदान पर एक दूसरे के टांग को खींचने का प्रयास करते हैं। चुनाव प्रभारी ओम प्रकाश माथुर और अन्य प्रभारियों के शारीरिक भाषा से भी यह साफ-साफ दिख रहा था कि गुटबाजी को उन्होंने भी भांप लिया है। इस विषय में यदि चर्चा करें, तो तस्वीर कुछ इस तरह छन कर आती है कि तीन खेमों में बंटी भाजपा के नेताओं ने अपनी लॉबिंग के लिए अपने-अपने पासे बिछा रखे हैं। इसके संकेत भाजपा प्रदेशध्याक्ष द्वारा उपयोग किए गए शब्दों के अन्तर्वस्तु विश्लेषण से भी प्राप्त होता है और यह जानकारी इसलिए अहम हो जाती है कि जिले के विशालकाय नेताओं और पदाधिकारियों की ओर विश्लेषण का निष्कर्ष संकेत करता है।