रायगढ़ विधानसभा का हर बार बदल जाता है विधायक

रायगढ़ विधानसभा का रहता है जिले के चार विधानसभाओं पर प्रभाव

by Bhanu Pratap Mishra

भानु प्रताप मिश्र

छत्तीसगढ़ का रायगढ़ विधानसभा, निर्वाचन के दृष्टि से क्षेत्र क्रमांक 16 है। यह विधानसभा क्षेत्र प्राकृतिक रूप से सुन्दर और समृद्ध भी है। चूंकि यह जिला मुख्यालय है और इस जिले में सैकड़ों की संख्या में इस्पात व विद्युत संयंत्र संचालित हैं। इसके अतिरिक्त इस जिले में कोयले की दर्जनों खदाने भी सरकारी और गैर-सरकारी स्वरूप में संचालित हैं। वहीं साहित्य, संगीत और कला के क्षेत्र में भी इस जिले का प्रदेश ही नहीं, अपितु पूरे देश में योगदान रहा है।

साहित्य के क्षेत्र में मुकुटधर पाण्डेय की नगरी के रूप में, इस नगर को जाना जाता है, जो कि छायावाद के जाने-माने साहित्यकार रहे। वहीं संगीत और कला के रूप में यह राजा चक्रधर सिंह की नगरी है। उन्हीं के नाम पर संचालित होने वाला, यहां का चक्रधर समारोह पूरे देश के कलाकारों में ख्याति प्राप्त है। इसके अतिरिक्त इस नगर को राष्ट्रीय स्तर पर राजनैतिक पहचान तब मिली, जब नगर की जनता ने यहां का मेयर मधु किन्नर को बना दिया था। अतः प्रतिभाओं से सम्पन्न यह क्षेत्र, विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हो चुका है।

इस विधानसभा क्षेत्र में चुनावी पिच के समतलीकरण का कार्य राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों और पार्टियों द्वारा आरम्भ कर दिया गया है। इसलिए इस समतलीकरण का लाभ किस दल और किस प्रत्याशी को मिलेगा, इसका आकलन जनता और विश्लेषकों द्वारा अलग-अलग प्रकार से किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद इस विधानसभा क्षेत्र के चुनाव का आकलन किया जाए, तो यह देखने को मिलता है कि हर चुनाव में यहां विधायक को बदलने की परम्परा बन गई है। यदि क्रमवार देखा जाए, तो उसके परिणाम कुछ इस प्रकार हैं।

रायगढ़ सीट से कौन कब रहा विधायक

वर्ष 2003 के चुनाव में कांग्रेस के विधायक व मंत्री रहे, कृष्ण कुमार गुप्ता को हराकर भाजपा से विजय अग्रवाल विधायक बने। उसके पश्चात् वर्ष 2008 में चुनाव हुआ, इस चुनाव में भाजपा के विधायक रहे, विजय अग्रवाल को हराकर कांग्रेस से डॉ. शक्राजीत नायक विधायक बने। उसके पश्चात् वर्ष 2013 में चुनाव हुआ, इस चुनाव में कांग्रेस के विधायक रहे,

डॉ. शक्राजीत नायक को हराकर भाजपा से रोशन लाल अग्रवाल विधायक बने। उसके पश्चात् वर्ष 2018 में चुनाव हुआ, इस चुनाव में भाजपा के विधायक रहे, रोशन लाल अग्रवाल को हराकर कांग्रेस के प्रकाश नायक विधायक बने। प्रकाश नायक वर्तमान में रायगढ़ विधानसभा के विधायक हैं और आगामी चुनाव में कांग्रेस के स्वभाविक दावेदार भी।

नगरी और ग्रामीण क्षेत्र में किसकी जमीन अधिक समतल

रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र में मतदान केन्द्रों की संख्या 292 है। जिसमें लगभग 113 मतदान केन्द्र रायगढ़ शहर में है, तो वहीं 179 के लगभग मतदान केन्द्र ग्रामीण क्षेत्र में हैं। शहरी क्षेत्र के 113 मतदान केन्द्रों पर मतदान करने वाले मतदाताओं की संख्या की बात करें, तो 120995 के लगभग मतदाता हैं। शहरी क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या बढ़ने की संभावना भी है।

क्योंकि 18 वर्ष के नये मतदाताओं का नाम सूची में जुड़ा है। वहीं इस विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 131524 के लगभग है। जिसमें सारंगढ़ जिले के विकासखण्ड बरमकेला लगभग 45 गांव सहित नगर पंचायत सरिया भी रायगढ़ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में आता है। इसके अतिरिक्त पुसौर नगर पंचायत और पुसौर विकासखण्ड के लगभग 40 गांव रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आते हैं।

वहीं रायगढ़ निगम क्षेत्र के 44 वार्डों के अतिरिक्त विकासखण्ड रायगढ़ के लगभग 26 गांव रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आते हैं। इस विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के सभी मतदान केन्द्रों पर पूर्व में हुए मतदान से विश्लेषक आकलित करते हैं कि वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के बागी विजय अग्रवाल ने कांग्रेस के लिए रास्ता खोल दिए थे। किन्तु आज की स्थितियां कुछ परिवर्तित हैं, जिसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए स्थानीय मुद्दों के अतिरिक्त प्रत्याशी चयन भी जीत का मुख्य कारक बन सकता है।

कांग्रेस से संभावित उम्मीदवारों का नाम

भाजपा से संभावित उम्मीदवारों का नाम

भाजपा और कांग्रेस में गुटबाजी का क्या होगा प्रभाव

कांग्रेस प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी और रायगढ़ में उसका अपना विधायक भी है। विश्लेषक इसी को आधार बनाकर कहते हैं कि सत्ता में होने के बाद भी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के कार्य न होने के कारण कई गुट हैं। इसका एक कारण तो यह है कि कार्यकर्ताओं के व्यक्तिगत हित से जुड़े हुए कार्य न होना, दूसरा स्थानीय मुद्दों पर कार्यकर्ताओं से जनता की बातचीत होती है। जिससे जनता उनसे सीधे अपने समस्याओं को बताती है। उसका निराकरण प्रस्तुत न कर पाने से भी कार्यकर्ता गुट में बंटे हुए हैं और यही गुट कांग्रेस के लिए चुनावी सरदर्द है।

वहीं भाजपा विपक्ष में है और संघर्ष कर रही है, लेकिन उसके अंदर भी गुटबाजी कहीं कांग्रेस से अधिक है। रायगढ़ भाजपा में वर्तमान में तीन गुट बताए जाते हैं। तीनों गुटों की आपसी लड़ाई सांगठनिक कार्यों में खुलकर दिखता है। जैसे पिछले दिनों मोदी के नौ साल के कई कार्यक्रमों में यह खुलकर दिखा। टिकट के लिए बाहर से आने वाले नेताओं के आगे पीछे तो तीनों गुटों के कार्यकर्ता दिख रहे थे। किन्तु कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कोई भी गुट अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य करते हुए नहीं देखे गए।

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