छत्तीसगढ़ के 12 जातियों को मिले अनुसूचित जनजाति के दर्जे पर राजनीति

यह निर्णय अनुसूचित जनजाति के वंचित वर्ग को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास

by Bhanu Pratap Mishra

भानु प्रताप मिश्र

छत्तीसगढ़ की 12 ऐसी जातियां हैं, जिन्हें लिपिकीय त्रुटि के कारण अनुसूचित जनताति का दर्जा प्राप्त नहीं था। लेकिन उनकी जीवनशैली, उनकी पूजा पद्धति, उनका सामाजिक जीवन और शादी संबंध आदि सब अनुसूचित जनजातियों के लोगों से आपस में मिलाजुला है।

जैसे-भूईंया और भूईंयाँ यह दोनों एक ही जाति हैं, लेकिन एक के उपनाम में अनुस्वार नहीं होने के कारण इस जाति के लोगों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त नहीं था। ऐसे ही 12 जातियां थीं, जिन्हें मात्राओं की त्रुटि के कारण अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त नहीं था। उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमण्डल द्वारा स्वीकृति के बाद अब अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त हो जाएगा।

इस विषय के विशेषज्ञ बताते हैं कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल के स्वीकृति के बाद राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 342 के अन्तर्गत एक सार्वजनिक अधिसूचना जारी कर उस वर्ग को अनुसूचित जनजाति घोषित करता है। उसके पश्चात् उस अधिसूचना के आधार पर उस वर्ग का स्थाई जाति प्रमाण पत्र स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी किया जाता है।

भाजपा नेता सत्यानंद राठिया

इस विषय पर प्रदेश में जब भाजपा सरकार थी, तब के मंत्री व संसदीय सचिव रहे सत्यानंद राठिया कहते हैं कि भाजपा सरकार द्वारा वर्ष 2007 से 2010 तक कुछ सुविधाओं के लिए राज्य सरकार स्तर पर व्यवस्था कराई गई थी। जिसमें आदिवासी छात्रावास में रहने की व्यवस्था व महाविद्यालयों में नामांकन आदि में छूट के लिए अस्थाई प्रमाण पत्र की व्यवस्था कराई गई थी

और साथ ही साथ केन्द्र सरकार को स्थाई करने के लिए भी राज्य सरकार से अनुशंसा भी की गई थी। वे इस विषय पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि उस समय केन्द्र की सरकार वक्फ बोर्ड के लिए जमीन आवंटित करने में व्यस्त थी। इसलिए आदिवासियों के समस्याओं के निराकरण का समय उनके पास नहीं था।

वहीं राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल निज लिखे पत्र पर पूरे उपलब्धि का श्रेय लेने का प्रयास कर रहे हैं। कुल मिलाकर चुनाव के पिच पर राजनीति होना स्वभाविक प्रक्रिया है। लेकिन जनता की बात करें तो वह सब जानती है और सही समय पर, सही निर्णय भी उसके द्वारा लिया जाता है।


भाजपा के नेताओं का निर्णय पर धन्यवाद ज्ञापन, तो वहीं कांग्रेस में श्रेय लेने की होड़

भाजपा नेता सुनील रामदास

पूरे प्रदेश में लगभग 100 से अधिक समाचार-पत्रों में भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए समाचार प्रकाशित कराया है, जिसका अभिप्राय यह निकलता है कि यह निर्णय भाजपा की एक उपलब्धि है। लेकिन कांग्रेस की ओर से केवल एक ही प्रमाण दिया जा रहा है कि मैंने एक पत्र लिखा और उसपर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में निर्णय ले लिया गया।

जिसपर भाजपा की ओर से एक प्रश्न किया जा रहा है कि इस निर्णय के लिए मुख्यमंत्री को सार्वजनिक रूप से प्रधानमंत्री का धन्यवाद ज्ञापन करना चाहिए। अब विश्लेषक इस विषय पर एक प्रश्न उठा रहे हैं कि यदि विरोधी भी हैं, तो अच्छे निर्णय का स्वागत करना एक सामाजिक शिष्टाचार के श्रेणी में आता है।

वहीं इस निर्णय पर अंचल के समाजसेवी और भाजपा नेता सुनील रामदास कहते हैं कि यदि यह निर्णय सही है, तो बड़े मन से राज्य सरकार को प्रधानमंत्री का धन्यवाद ज्ञापन करना चाहिए। वे इस निर्णय का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देते हैं और कहते हैं कि हमारे देश के प्रधानमंत्री वंचित वर्ग के जीवन को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

उसी क्रम में उनके द्वारा यह निर्णय लिया गया है, जो कि स्वागत योग्य निर्णय है और इस निर्णय के लिए मैं उनको हृदय के अंतरतल से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। पिच चुनावी है, तो चौसर पर चाल दोनों ओर से चाल चले जाएंगें। अब प्रतिक्षा इसकी है कि इस वर्ग का निर्णय चुनाव में किसको ताज दिलाएगा और किसके सर से ताज उतार लेगा।

बहरहाल राजनीति एक शास्त्र है, जिसके अध्ययन और अध्यापन के कार्य के लिए योग्यताओं को मानक बनाया गया है। किन्तु जनता के जीवन की राजनीति करने वालों का कोई तय मानक नहीं है। जिसका परिणाम भविष्य के गर्त में है।

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