मनुष्य में जहाँ शारीरिक-मानसिक स्तर की अनेक विशेषताएँ हैं। वहीं उसकी वरिष्ठता इस आधार पर भी है कि उसमें अंतरात्मा कहा जाने वाला एक विशेष तत्त्व पाया जाता है। उसमें उत्कृष्टता का समर्थन और निकृष्टता का विरोध करने की ऐसी क्षमता है, जो अन्य किसी प्राणी में नहीं पाई जाती। जीव-जंतुओं में उनकी इच्छा या आवश्यकता की पूर्ति के निमित्त ही कई प्रकार की प्रेरणाएँ उठती हैं।
Bhanu Pratap Mishra
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वैदिक काल से सातवीं शताब्दी तक हमारे देश में शिक्षा की प्रणाली पूर्णतः गुरुकुल पर निर्भर हुआ करती थी। उसके पश्चात् बाह्य आक्रमण से संस्कृति में धीरे-धीरे बदलाव हुआ और उसके साथ ही शिक्षा की प्रणाली को विद्यालीन और विश्व विद्यालीन शिक्षा प्रणाली में परिवर्तित किया गया, जिसके साथ-साथ हमारी सभ्यता भी बदलती गयी और हम भी पूरी तरह बदलते गये।
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आजादी के कई दशकों बाद देश की राजनीति में हिन्दुत्व के नाम पर वोटों का ध्रुवीकरण हो या किसी अन्य समुदाय का तुष्टिकरण, भारतीय राजनीति में यह घटना पहली बार घटित हुई है। आजादी के बाद जाति और समुदायों के नाम पर लम्बे समय से ही राजनीति होती आ रही है। समस्याओं पर आधारित राजनीति की धुरी भारत में न होने का कारण उच्च मानदंडों के राजनेताओं की कमी और सामाजिक बनावट मुख्य रही है।
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भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति के अनुसार फागुन और चैत्र माह वसंत ऋतु में उत्सव के महीने माने जाते हैं। चैत्र माह के मध्य में प्रकृति अपने श्रृंगार एवं सृजन की प्रक्रिया में लीन रहती है और पेड़ों पर नए नए पत्ते आने के साथ ही सफेद, लाल, गुलाबी, पीले, नारंगी, नीले रंग के फूल भी खिलने लगते हैं। ऐसा लगता है कि जैसे पूरी की पूरी सृष्टि ही नई हो गई है, ठीक इसी वक्त भारत में हमारी भौतिक दुनिया में भी एक नए वर्ष का आगमन होता है।
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भानु प्रताप मिश्र पत्रकारिता में मूल रूप से मीडिया के सभी स्वरूपों का उपयोग करके…
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पत्रकारिता सभ्य समाज का समाजिक उपकरण
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भानु प्रताप मिश्र सम्पादकीय आलेखों से पत्र-पत्रिकाओं की अपनी पहचान होती है। सम्पादकीय को पत्र-पत्रिकाओं…
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प्रहलाद सबनानी केंद्र सरकार ने दिनांक 9 दिसम्बर 2022 को भारतीय संसद को सूचित किया…
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भानु प्रताप मिश्र भारतीय लोकतंत्र विश्व का सबसे प्राचीन और बड़ा लोकतंत्र होने के बाद…
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गाना के मुखड़ा मा चिखला सने हे, गुंडा अउ बदमाश हीरो बने हे।नीयत के नगरा…