छत्तीसगढ़ की 12 ऐसी जातियां हैं, जिन्हें लिपिकीय त्रुटि के कारण अनुसूचित जनताति का दर्जा प्राप्त नहीं था। लेकिन उनकी जीवनशैली, उनकी पूजा पद्धति, उनका सामाजिक जीवन और शादी संबंध आदि सब अनुसूचित जनजातियों के लोगों से आपस में मिलाजुला है।
Latest News
-
-
छत्तीसगढ़ का रायगढ़ विधानसभा, निर्वाचन के दृष्टि से क्षेत्र क्रमांक 16 है। यह विधानसभा क्षेत्र प्राकृतिक रूप से सुन्दर और समृद्ध भी है। चूंकि यह जिला मुख्यालय है और इस जिले में सैकड़ों की संख्या में इस्पात व विद्युत संयंत्र संचालित हैं। इसके अतिरिक्त इस जिले में कोयले की दर्जनों खदाने भी सरकारी और गैर-सरकारी स्वरूप में संचालित हैं।
-
छत्तीसगढ़ के लोक आस्था का उत्सव हरेली, श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को किसानों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है। इस उत्सव में किसान कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं
-
मणिपुर के मुद्दे पर संसद में चल रहा विपक्षियों की शुद्ध राजनीति है। विरोध के पीछे अपनी राजनीतिक लकीर को लम्बा करने का प्रयास किया जा रहा है।
-
डिजिटल साक्षरता के अभाव में डिग्री कॉलेज के प्राध्यापक छात्र-छात्रा को जानकारी देने में सक्षम नहीं बताए जा रहे है। वहीं अभिभावकों के प्रश्न पूछे जाने पर नामांकन नहीं करने की भी धमकी देते हैं।
-
भारत के अन्य प्रदेशों की भांति बिहार की लोककलाएँ मनोरंजन, शिक्षण और सूचना आदान -प्रदान की माध्यम होती हैं। वहीं बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों में भाषायी भिन्नता होने के कारण बिहार की लोककलाएँ अलग-अलग प्रकार की पाई जाती है।
-
भानु प्रताप मिश्र कवि सम्मेलन लोक संचार का बहुत ही प्रभावशाली और अनोखा माध्यम है।…
-
भारत के अन्य प्रदेशों की भांति छत्तीसगढ़ में भी संचार के लिए लोक माध्यमों को विकसित किया गया। जिन्हें लोकनाट्य, लोक नृत्य व लोक संगीत के रूप में जाना जाता है। छत्तीसगढ़ में भी लोक नाट्यों, लोक नृत्यों व लोक संगीतों के माध्यम से लोगों में संदेश देने, मनोरंजन पहुंचाने व लोगों को शिक्षित करने का कार्य पुरातन काल से किया जाता रहा है।
-
भानु प्रताप मिश्र भारत के प्रसिद्ध पारम्परिक नाटक या लोकनाट्य (1) यात्रा/जात्रा : यह पूर्वी…
-
यह मेरे कल्पना का नगर है। जिसमें हर दसवां व्यक्ति समाजसेवी है। यह एक छोटा सा नगर होने के बाद भी ख्याति प्राप्त नगर है। इसको ख्याति जिले का मुख्यालय होने के कारण नहीं, अपितु यहां के समाज सेवियों के कारण प्राप्त है। जिले का क्षेत्रफल लगभग 7 हजार वर्ग किलोमीटर होने के बाद भी, यहां तो व्यवसाय है ही नहीं, यहां सिर्फ और सिर्फ समाजसेवी ही वसते हैं। जो समाजसेवी नहीं हैं वे दीन-हीन, लाचार लोग हैं।